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Salt

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Q. WhAT IS Double salt ? Ans:-   एक डबल नमक दो अलग नमक यौगिकों के संयोजन द्वारा तैयार एक यौगिक है। इसलिए, एक डबल नमक एक से अधिक आयनों और cation से बना है। एक नियमित तरल पदार्थ में क्रिस्टलाइजेशन के बाद उसी तरल पदार्थ में नमक यौगिकों को घोलकर एक डबल नमक तैयार किया जाता है। ( A double salt is a compound prepared by a combination of two different salt compounds. Therefore, a double salt is composed of more than one anion and cation. A double salt is prepared by dissolving the salt compounds in the same liquid followed by crystallization in a regular pattern )               पानी में लुप्त्त होने पर, एक डबल नमक पूरी तरह से सभी आयनों में अलग हो जाता है। डबल नमक का एक जलीय घोल सीमेंट्स और आयनों से बना होता है जो शुरुआती दो नमक यौगिकों में होते थे। इसलिए, यह विघटन जलीय घोल में सरल आयनों का उत्पादन करता है।                      पानी में पूरी तरह से पृथक्करण के कारण पानी में इसे घोल कर एक डबल नमक का आसानी से विश्लेषण किया जा सकता है। हालांकि, डबल नमक तैयार करते समय, घटक (दो लवण) को सम

Ohm's Law (English)

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In 1825-26, Professor George Simon Om of the German Physicist and Technical University had enacted this rule.                                                  According to Ohm's Law, if the physical conditions are kept in the heat, then the potential difference between the ends of a resistor is proportional to the current flowing through it. That is,         V α I or      or                   One unit of R is Ohm. With the resistance R , when the source of V probability is found, the current flows in it, I flows. These three ratios follow the rule of Ohm, that is, V = IR I-V diagram of the omy and non-omeatic device: The simpler line of red than these is the symbol of the omegle device and the black curve is denoting the Vi-i feature of the non-omegle device.                          Actually, 'Ohm's law' is not a rule, but it defines 'resistance' of such things, which are now called 'omi resistance'.

Kirchhofs Law (English)

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In 1845,  Gustav Kirchoff  published two rules related to  voltage and current  in electric circuits. These two rules are jointly called the rules of Kirchoff's circuit. 1. Kirchhoff's current / circuit laws (KCL) 2. Kirchhoff's Voltage laws (KVL) 1. Kirchhoff's current / circuit laws (KCL)                                                                                                                   (The current entering any junction is equal to the current leaving that junction.) The sum of the currents leading to a node or janxan is equal to the sum of the currents going away from that node; That is, i1 + i4 = i2 + i3 This rule is called the 'Rule of Kirchoff', 'Rule of Kirchoff', 'Rule of Kirchoff's Judgment', and Kirchoff's First Law. n is the total number of section-branches related to a node . This rule is also true for the common currents. This rule is based on the rule of protecti

Light

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प्रकाश  एक विद्युतचुम्बकीय विकिरण है, जिसकी तरंगदैर्ध्य दृश्य सीमा के भीतर होती है।  तकनीकी या वैज्ञानिक संदर्भ में किसी भी तरंगदैर्घ्य के विकिरण को प्रकाश कहते हैं। प्रकाश का मूल कण  फ़ोटान  होता है। प्रकाश की तीन प्रमुख विमायें निम्नवत है। तीव्रता जो प्रकाश की चमक से सम्बन्धित है आवृत्ति या तरंग्दैर्घ्य जो प्रकाश का रंग निर्धारित करती है। ध्रुवीकरण जिसे सामान्य परिस्थितियों में मानव नेत्र से अनुभव करना कठिन है। पदार्थ की तरंग-द्रव्य द्विकता के कारण प्रकाश एक ही साथ तरंग और द्रव्य दोनों के गुण प्रदर्शित करता है। प्रकाश की यथार्थ प्रकृति भौतिकविज्ञान के प्रमुख प्रश्नों में से एक है।                  पृथ्वी पर प्रकाश का मुख्य स्रोत सूर्य है। सूरज की रोशनी उस ऊर्जा को प्रदान करती है जो हरे पौधे ज्यादातर स्टार्च के रूप में शर्करा बनाने के लिए उपयोग करते हैं, जो जीवित चीजों में ऊर्जा को मुक्त करते हैं जो उन्हें पचते हैं। प्रकाश संश्लेषण की यह प्रक्रिया जीवित चीजों द्वारा उपयोग की जाने वाली लगभग सभी ऊर्जा प्रदान करती है।                                      भौतिकी में, श

Electromagnet

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विद्युत धारा  के प्रभाव से जिस लोहे में चुंबकत्व उत्पन्न होता है, उसे  विद्युत चुंबक  (Electromagnet) कहते हैं। इसके लिये लोहे पर तार लपेटकर उस तार से विद्युत् धारा बहाकर लोहे को चुंबकित किया जा सकता है। Note:- (लोहे पर चुंबक रगड़कर लोहे को चुंबकीय किया जा सकता है जो विद्युत चुम्बकत्व नहीं है)   चुम्बकीय पदार्थों पर लगने वाला बल     जहाँ: 💞 F , बल ( न्यूटन   में) 💕 B   , चुम्बकीय क्षेत्र (चुम्बकीय फ्लक्स घनत्व) (टेस्ला में) 💞 A , पोल का क्षेत्रफल (m² में); 💕    , निर्वात की चुम्बकीय पारगम्यता          💞 हवा की पारगम्यता = 

Resistance

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किसी प्रतिरोधक के सिरों के बीच विभवान्तर तथा उससे प्रवाहित विद्युत धारा के अनुपात को उसका  विद्युत प्रतिरोध  (electrical resistannce) कहते हैं।इसे  ओह्म  में मापा जाता है। इसकी प्रतिलोमीय मात्रा है विद्युत चालकता, जिसकी इकाई है  साइमन्स । जहां R  वस्तु का प्रतिरोध है, जो ओह्म में मापा गया है, J·s/C 2 के तुल्य V  वस्तु के आर-पार का विभवांतर है,  वोल्ट  में मापा गया। I  वस्तु से होकर जाने वाली विद्युत धारा है, एम्पीय़र में मापी गयी।                                    बहुत सारी वस्तुओं में, प्रतिरोध विद्युत धारा या विभवांतर पर निर्भर नहीं होता, यानी उनका प्रतिरोध स्थिर रहता है। विभिन्न पदार्थों की प्रतिरोधकता द्रव्य/पदार्थ प्रतिरोधकता ,  {\displaystyle \rho } ओह्ममीटर अतिचालक 0 धातु {\displaystyle 10^{-8}} अर्धचालक अस्थिर विद्युत अपघट्य अस्थिरांक विद्युत रोधी {\displaystyle 10^{16}}

Resistor

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प्रतिरोधक (Resistor)   दो सिरों वाला वैद्युत अवयव है जिसके सिरों के बीच विभवान्तर उससे बहने वाली तात्कालिक धारा के समानुपाती (या लगभग समानुपाती) होता है। ये विभिन्न आकार-प्रकार के होते हैं। इनसे होकर धारा बहने पर इनके अन्दर उष्माउत्पन्न होती है। कुछ प्रतिरोधक  ओम के नियम  का पालन करते हैं जिसका अर्थ है कि - V = IR एलेक्ट्रॉनिक परिपथ में प्राय: सबसे अधिक प्रयुक्त अवयव है।      

LENS

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लेंस एक प्रकाशीय युक्ति है जो  प्रकाश के अपवर्तन  के सिद्धान्त पर काम करता है।  लेंस   गोलीय, बेलनाकार आदि जैसे नियमित, ज्यामिती रूप की दो सतहों से घिरा हुआ पारदर्शक माध्यम, जिससे अपवर्तन के पश्चात् किसी वस्तु का वास्तविक अथवा काल्पनिक प्रतिबिंब बनता है,  लेंस  कहलाता है।                                                                        लेंस  की सतह प्राय: गोलीय (spherical) होती है, परंतु आवश्यकतानुसार बेलनाकर, या अगोली  लेंस  भी प्रयुक्त होते हैं। आँख के क्रिस्टलीय  लेंस  ही एकमात्र प्राकृतिक  लेंस  है। हजारों वर्ष पहले भी लोग  लेंस  के विषय में जानते थे और  माइसनर  (Meissner) के अनुसार प्राचीन काल में भी चश्मे से लाभ उठाया जाता था। चश्में के अलावा प्रकाशविज्ञान में  लेंस  का उपयोग  दूरदर्शी ,  सूक्ष्मदर्शी ,  प्रकाशस्तंभ ,  द्विनेत्री  (बाइनॉक्युलर) इत्यादि में होता है। लेंस  का उपयोग प्रकाश को फोकस करने के लिये किया जा सकता है वर्गीकरण                                                                       अभिसारी  लेंस 1 - उत्तलोत्तल या द्वि-उत्तल 

Gravitation

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💞Gravity , or  G ravitation  is a  natural phenomenon  by which all things with  mass  or  energy  are brought toward (or  gravitate  toward) one another. 💞गुरुत्वाकर्षण  (Gravitation) एक  पदार्थ  द्वारा एक दूसरे की ओर आकृष्ट होने की प्रवृति है।                                                   गुरुत्वाकर्षण के बारे में पहली बार कोई गणितीय सूत्र देने की कोशिश  आइजक न्यूटन  द्वारा की गयी जो आश्चर्यजनक रूप से सही था। उन्होंने  गुरुत्वाकर्षण सिद्धांत  का प्रतिपादन किया। न्यूटन के सिद्धान्त को बाद में  अलबर्ट आइंस्टाइन  द्वारा  सापेक्षता सिद्धांत  से बदला गया। इससे पूर्व  वराह मिहिर  ने कहा था कि किसी प्रकार की  शक्ति  ही वस्तुओं को पृथिवी पर चिपकाए रखती है।                                                गुरुत्वाकर्षण के कारण ही ग्रह, सूर्य के चारों ओर चक्कर लगा पाते हैं और यही उन्हें रोके रखती है।                                                                 यदि पृथ्वी के द्रव्यमान के तुल्य द्रव्यमान वाली कोई वस्तु इसकी तरफ गिरे तो उस स्थिति में पृथ्वी का त्वरण भी नगण

Ohm's Law (Hindi)

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                                        जॉर्ज साइमन ओम प्रतिरोध  R , के साथ  V  विभवान्तर का स्रोत लगाने पर उसमें विद्युत धारा,  I  प्रवाहित होती है। ये तीनों राशियाँ ओम के नियम का पालन करती हैं, अर्थात  V =  IR . ओमीय तथा अन-ओमीय युक्ति के  I - V  आरेख : इनमें से लाल रंग की सरल रेखा ओमीय युक्ति का और काले रंग की वक्र गैर-ओमीय युक्ति के वी-आई वैशिष्ट्य को निरूपित कर रही है। सन् 1825-26 में जर्मन भौतिकविद् एवं तकनीकी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर  जॉर्ज साइमन ओम  ने यह नियम प्रतिपादित किया था। ओम के नियम  (Ohm's Law) के अनुसार यदि ताप आदि भौतिक अवस्थायें नियत रखीं जाए तो किसी प्रतिरोधक के सिरों के बीच उत्पन्न विभवान्तर उससे प्रवाहित धारा के समानुपाती होता है। अर्थात् V ∝ I या, {\displaystyle V=R\,I} या, {\displaystyle R={\frac {V}{I}}=\mathrm {const.} } R का एक मात्रक ओम (ohm) है। वास्तव में 'ओम का नियम' कोई नियम नहीं है बल्कि यह ऐसी वस्तुओं के 'प्रतिरोध' को परिभाषित करता है जिनको अब 'ओमीय प्रतिरोध' कहते हैं। दूसरे शब